Yug Purush

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अंतरिक्ष: A LONER... आखिरी भाग

भाग-7 ~A  LONER


पर ये रेडिएशन नहीं है, पूरी तरह से नहीं... क्यूंकि ये यदि रेडिएशन होता तो ऑरोरा  इतने दिन तक जिन्दा नहीं रहती । वो कभी –कभी मुझसे बात करती है , पर ज्यादा देर के लिए नहीं.... ये बहुत ही डिस्टर्बिंग है, मैं उसकी हालत के बारे में और ज्यादा बात नहीं कर सकता । I’M SIGHING OUT....

Day~85:  Yes...?

“ मुझे अब भी  बुरे सपने क्यों आते ही ,Mommy... जबकि उन घटनाओ को कई साल बीत चुके है ”

“हमारी सबसे बड़ी समस्या ये है कि दिमाग  अपने अतीत को नहीं भूलता और हमारी इच्छाए , हमारा डर हर पल हमें आने वाले कल की समस्यायों और चिन्ताओ से अवगत कराती रहती है... अक्श . सो जाओ...”

 

मेरे साथ अब भी यही हो रहा था. अब खाली समय मिलने पर मैं अकेले ही  Cupo।a  की खिडकियों से नीचे का नजारा देखता रहता हूँ । अकेले ही वो गेम खेलते रहता हूँ, जो ऑरोरा  ने मुझे सिखाया था । जिसमे नीचे देख कर बताना होता है कि  हम अभी कहा है । मेरी नजर हमेशा ऑरोरा  पर भी रहती है, उसके शरीर में यदि कोई भी हरकत होती है तो मैं हिल जाता हूँ । पर ये सब कुछ  एक छलावा है , वो यहाँ नहीं बच पाएगी । उसे जल्द से जल्द पृथ्वी पर वापस भेजना होगा, ताकि उसका इलाज किया जा सके ।

पुरे दो हफ्ते लगे एक्सप्लोजन के बाद स्पेस सेन्टर को सोयुज़ स्पेस शटल को ISS के लिए तैयार करने में और आज सोयुज ऑरोरा  के लिए आ रहा था । पायलट इस बार भी ओमार ही था । सोयुज में ऑरोरा  को रखने के लिए  एक अलग  सील्ड चैम्बर की व्यवस्था की गयी थी, ताकि रेडिएशन का असर बाकियों पर ना पड़े । ऑरोरा  के साथ आज निक भी वापस जाने वाला था । लेकिन मेरे लिए यही रुकने का आदेश था । उन्हें EMV-X की आगे की टेस्टिंग के लिए कोई ना कोई तो ISS में चाहिए ही था, इतना खर्च जो किया था और EMV-X मंगल ग्रह के स्पेस स्टेशन मिशन Gateway से भी सम्बंधित था, जिसके लिए मैंने खुद को इनरोल भी किया था, इसलिए EMV-X की टेस्टिंग के लिए मैं उनका परफेक्ट कैंडिडेट था ।


जब ऑरोरा  को सोयुज में ले जाया जा रहा था तो ऑरोरा  पूरी तरह  होश में नहीं थी, पर घुटी हुई आवाज में लगातार कुछ बोले जा रही थी । उसकी इस आवाज में किसी ने ध्यान नहीं दिया, क्यूंकि वो अक्सर ही ऐसे कुछ ना कुछ बडबडाते रहती थी । मैंने खुद ने भी शुरू में  उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया, पर फिर जब बडबडाने के साथ –साथ उसके शरीर में हरकत भी हुई तो.......

 

“YES…”मुझे सिर्फ इतना सुनाई दिया

“Mr. A… ये शायद तुमसे कुछ कह रही है...”जब ऑरोरा  के बडबडाने की आवाज निक के कानो तक पहुची तो उसने मेरी ओर देखा और मैंने ऑरोरा  की ओर ...

“यस ... मैं तुम्हारे साथ .... अपनी.... पूरी.. जिंदगी.. जिंदगी ....तुम्हारे साथ... अपनी .... लाल ग्रह... पर ... बिताने ... के लिए तैयार ... हूँ ... पूरी जिंदगी.. तैयार हूँ... बिताने के लिए... तुम्हारे साथ.... आई एम सॉरी.... एंड आई ... लव ... यू ... अक्श”

 

उससे कहना तो  मैं भी बहुत कुछ चाहता था, पर कोई मतलब नहीं था क्यूंकि मैं जो कुछ भी कहता, वो ऑरोरा  के कानो तक नहीं पहुचता । वो इस समय कुछ भी बोले जा रही थी, इसलिए मैं चुप ही रहा ।  सोयुज 02:12 AM , ऑरोरा  को लेकर ISS से रवाना हुआ और 5:30 AM को धरती पर लैंड करते वक़्त  सोयुज के मेन पैराशूट खुले । 

“She’s not responding... She’s not responding... I repeat ... she’s not responding ....  She’s no more....”

जब सोयुज धरती पर लैंड हुआ तो ये आवाज मेरे कानो में पड़ी और मैंने तुरंत माइक निकालकर  वही फेक दिया, जो नीचे गिरने की बजाय वही हवा में तैरने लगा और  उसमे से ऑरोरा  के  मौत की आवाजे अब भी आ रही थी ।.......... शायद ....?

 

Day-100 ~ The  Kiss-2

 “Aksh… do you be।ieve in god… ?”

 “I don’t know “

ऑरोरा  ने एक बार Cupo।a  में मुझसे ये सवाल पूछा था । जिसका जवाब मैं आज तक ढूंढ रहा हूँ । मतलब मैं भगवान  को नहीं ढूंढ रहा, बल्कि मैं ये ढूंढ रहा हूँ कि मैं भगवान को मानता हूँ या नहीं । 

 “मैं कुछ समझी नहीं... डोंट नो का क्या मतलब हुआ... या तो तुम आस्तिक हो या फिर नास्तिक ...?”

“ मैं खुद आज तक नहीं समझ पाया ... कही –कही पर मैं खुद को एक  आस्तिक की तरह पाता हूँ तो कही –कही खुद को नास्तिक के रूप में । जहा आस्तिक बनने में  मेरा लोभ है , जहा मेरा स्वार्थ सिद्ध होता है , वहा मैं तुरंत एक सेकंड में आस्तिक बन जाता हूँ और बाकी जगह नास्तिक....   ये बहुत जटिल है मेरे लिए, क्यूंकि कभी तो मुझे  भगवान् का अस्तित्व मात्र एक मिथ्या लगता है तो कभी –कभी उनके होने का अहसास तक हो जाता है । ”

“एस्ट्रोनॉट हो, साइंस की नजरिये से जवाब दो... ?? दुनिया की उत्पत्ति कैसे हुई... बिग –बैंग से या किसी सुप्रीम बिंग के चमत्कार से ...?”मुझे देख मुस्कुराते हुए ऑरोरा  बोली... उसे बहुत मजा आता था, मुझसे ऐसे जटिल सवाल पूछने में । 

“सच कहू तो बिग –बंग मुझे एक दकोसला सिद्धांत लगता है, जो कहता है की एक ही जगह पर पूरा मास और मैंटर केन्द्रित थी फिर अचानक से विस्फोट हुआ, अचानक से ही सब कुछ बन गया... पहली बात तो ये की एक ही बिंदु पर इतना मास और मैंटर रह ही नहीं सकता, क्यूंकि यदि मैटर है तो वो कुछ ना कुछ स्पेस तो घेरेगी  ही...”  

“तुम अब भी क्लियर कट नहीं बता रहे हो की ... तुम आस्तिक हो या नास्तिक...”ऑरोरा  ने फिर मुस्कुराते हुए मुझपर ताना कसा

“क्लियर कट कहू तो बचपन से ही हमारे दिमाग को तोडा जा रहा है ।  पहले गीता , रामायण , कुरान , बाइबिल पढ़ाएंगे और फिर जब बच्चा उनकी बातो को आत्मसात करने लगते है तो .... बूम... आपके जीवन में साइंस की एंट्री होती है, जो भगवान् के बिना एक दुनिया तुम्हारे सामने प्रस्तुत करता है, जिसके पास लगभग हर सवालो के जवाब के साथ –साथ प्रत्यक्ष प्रमाण भी होते है । बचपन में मैं एक तरफ मंदिर जाकर भगवान् से अपनी माँ की ख़ुशी के लिए  मन्नते मांगता तो वही दूसरी तरफ स्कूल में ये पढता की ... ये .. तो ... तुम बेवकूफ बन गए... भगवान् –वगवान तो कुछ होता ही नहीं, वो तो कई  बिलियन  साल पहले एक धमाका हुआ और सब कुछ बन गया । मैं कहना ये चाहता हूँ कि ना तो मैं आस्तिक हूँ और ना ही नास्तिक ... क्यूंकि कुछ ऐसे सवाल है जिसके जवाब के बिना मैं ये तय नहीं कर सकता”

 

ऑरोरा  फिर मुस्काई और उसकी इसी मुस्कान ने मेरे भी होंठो पर मुस्कान ला दी... मैंने खुद को उससे सटा कर, Cupo।a से बाहर देखने लगा ।  इस आस में की आज फिर शायद हमारे दरमियान वो पल आएगा , जब हम किस कर सके... लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।  ऑरोरा  ने कोई पहल नहीं की और मुझे तो ये सब कुछ आता ही नहीं था ।  मैं तो इन इंसानी क्रियाकलापों से मानो अनभिज्ञ ही था ।  भगवान् के अस्तित्व को लेकर मैं भले ही कंफ्यूजन में था, लेकिन ऑरोरा  को मैं दिल ही दिल में चाहने लगा हूँ... इसपर मुझे कोई कंफ्यूजन नहीं था । वैसे भी मुझे ऑरोरा जैसी कहा कोई मिलने वाली थी, जो मुझे मेरी माँ की तरह समझ सके । मैं बस उसे बता नहीं पा रहा था और वो भी ये बात शायद जानती थी, शायद... मुझे पता नहीं ।

 

“।ine is Private now,  Sir...  you can ta।k to Mr. Aakash....”

“Really...? No one can hear us..? ok.. thanks... hey, Mr. A. it’s Nic... how is the Weather up there....”

“यहाँ फूलो की वर्षा हो रही है, तुमने कॉल क्यूँ किया ...?”रूखे मन से मैंने कहा । अब मैं फिर से वही बन चुका था, जिस रूप में मैं यहाँ आया था... ~A LONER

“मैंने तुम्हे कॉल किया क्यूंकि, मैं ऐसा करना चाहता था ... इसलिए...”

“कोई काम है..?”लाइन डिसकनेक्ट करने के लिए मैंने अपना हाथ उठाते हुए निक से पूछा

“उन्होंने ऑरोरा  की बॉडी रिलीज़ कर दी है और आज उसका फ्यूनरल है । तुम उसके फ्यूनरल में उससे कुछ कहना चाहते हो..? मैं तुम्हारी तरफ से कह दूंगा...”

“नहीं... कुछ नहीं”

14 दिन हो चुके है, पर मेरे कानो में अब भी रह –रह कर वो शब्द गूंजते है, इनफैक्ट इस समय भी गूंज रहे है । जो ऑरोरा  ने यहाँ से जाते वक़्त मुझसे कहा था, पर उसके अगले ही पल मुझे वो शब्द सुनाई देने लगते, जब सोयुज ...धरती पर लैंड हुआ था ।

“उसका शरीर कोई हरकत नहीं कर रहा, मैं उसके  चेहरे पर गहरे काले –नीले दाग –धब्बे है, ऑरोरा  के कान और नाक से खून भी निकल रहा है । She is not responding... I repeat... she’s not responding...”

 

हम सब यही मान रहे थे कि ऑरोरा की जो हालत हुई वो रेडिएशन के कारण हुई थी, लेकिन जब वहा  नीचे , पृथ्वी पर... उसका टेस्ट हुआ.. मेरा मतलब उसके डेड बॉडी का, तब पता चला की उसे प्रयान प्रोटीन नाम की कोई बीमारी हो गयी थी । ये बिमारी जेनेटिक होती है और रेयर में भी रेयर टाइप की बिमारी है । जिसके जीन्स रेडियेटर -1 के एक्सप्लोजन के दौरान जब ऑरोरा  थोड़ी देर के लिए रेडिएशन के कांटेक्ट में आई तो एक्टिवेट हो गए थे । इसे डिटेक्ट नहीं किया जा सकता और ना ही इसका कोई इलाज संभव है । ऑरोरा  की मौत सोयुज के लैंडिंग के दौरान दम घुटने से हुई, मतलब लैंडिंग के दौरान एक –एक पल...  इस बीमारी  के चलते घुट –घुट के... जब एक गोरिल्ला जितना वजन सीने पर महसूस होता है, उसने अपना दम तोड़ दिया । लेकिन उसकी तस्वीर मेरे दिलो दिमाग में छप चुकी थी ... जहा मैं उसे ISS में Cupola से बाहर झांकते हुए महसूस करता था ।


 

निक ने लाइन डिसकनेक्ट नहीं की थी  और मेरी तरफ से कोई जवाब ना सुनकर उसने खुद ही बोलना चालू किया....

“वो ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी, उसके हाथ उसके सिर पर थे । जब डॉक्टर्स उसे रोबोट के माध्यम से आर्टिफीसियल रेस्पिरेशन  दे रहे थे, तब उसका शरीर पूरी तरह ठंडा नहीं हुआ था । हमने बहुत कोशिश की , Mr. A … पर उसने अपनी आँखे नहीं खोली । पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट में ब्रेन की नशो का फटना भी शामिल था....”

“तुम उससे कुछ कहना चाहते हो...? मैं तुम्हारे तरफ से कह दूंगा...”जब मैंने आगे भी कुछ नहीं कहा तो निक ने अपनी बात दोहराई

“उस..स..स .. उससे बस इतना कहना कि.... कि .... मैं लाल ग्रह के चक्कर लगाते हुए पूरी जिंदगी उसका इन्तजार करूँगा और उस पर एक किस का उधार है...”  

 

Day-121 ~A  LONER

 

“अक्श, अब क्या हुआ...”

“लोग अक्सर डैड का नाम क्यूँ लेते है , मोमी... मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद ये...”

एक बार मैं फिर गुस्से से गाल फुलाए अपने कमरे में गुमसुम सा बैठा हुआ था, कारण मेरे पिता की प्रताड़ना और हमें छोड़ जाने के बाद हम दोनों के दिमाग पर ही गहरा असर हुआ था और हमारी दिमागी हालत को ठीक करने के लिए हम दोनों को एक  सायकोलॉजिस्ट के पास भेजा गया । जहा वो सायकोलॉजिस्ट अक्सर मेरे डर को, मेरे दर्द को कुरेदा करती और अक्सर मेरे पिताजी के बारे में तरह –तरह के सवाल करती । उस सायकोलॉजिस्ट का कहना था कि यदि मैं उसके अनुसार नहीं चला और उसके बताओ रास्तो को नहीं चुना तो सारी दुनिया से कटकर अपने आप में ही सीमित रह जाऊंगा, उसके अनुसार मुझे स्कूल में नए दोस्त बनाने चाहिए, उनके साथ वक़्त बिताना चाहिए, यही उम्र है... यदि मैंने अभी अपने जख्मो को नहीं भरा तो फिर सारी  उम्र ये जख्म नहीं भरेंगे और मैं हमेशा ऐसे ही सारी दुनिया से अलग एक लोनर की तरह अपनी जिंदगी गुजारूँगा, जहा ना तो कोई मेरा दोस्त होगा और ना ही कोई प्यार करने वाला ।

 

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वो सायकोलॉजिस्ट मेरे बारे में क्या सोचती थी, मुझे क्या सलाह देती थी । पर जब –जब वो मेरे पिताजी का नाम लेती तो मेरे हृदय में एक टीस सी उठती, जो मुझे अन्दर से बेचैन कर देती थी... जिसके बाद वहा होने वाली हलकी सी आवाज भी मुझे इसी बात का अनुभव कराते कि मेरे पिताजी शराब के नशे में धुत्त बेल्ट अपने हाथो में लिए मेरी ओर  बढ़ रहे है और ऐसा सोचते ही मेरा रोम –रोम काँप उठता था ।

“मोमी, मुझे डैड का नाम तक नहीं पसंद ... फिर वो डॉक्टर क्यूँ उनका नाम बार –बार लेती है , वो तो बहुत बुरे है ना....?”

“वो इसलिए अक्श ... क्यूंकि अच्छे इंसान के  साथ –साथ बुरे इंसान  से भी बहुत कुछ सिखा जा सकता है...  अच्छे आदमियों से ये कि हमे की करना चहिये और बुरे आदमियों से ये कि हमें क्या नहीं करना चाहिए...”

“भगवान ने मुझे दुसरो की तरह क्यूँ नहीं बनाया... उन्होंने मुझे वैसा दिमाग क्यूँ नहीं दिया, जैसा उन्होंने स्कूल के दुसरे लडको दिया है... नहीं तो मेरे भी दोस्त होते ,मोमी”

“भगवान् को तुम्हे जो देना था , वो तो दे चुके... बस तुम्हे परख नहीं है । वैसे  तुम्हारी साइंस कम्पटीशन की तैयारी  कैसे चल रही है...?”

“मैं इस बार भी जीत जाऊंगा , मोमी”

 

मैंने बहुत कोशिश की बचपन में एक नार्मल इंसान बनने की, लेकिन मेरे अन्दर ही कुछ कमी थी शायद, जो मैं कभी नार्मल बन ही नहीं पाया । मैं सबसे कटकर सिर्फ खुद में ही व्यस्त रहता. जिसके कारण स्कूल के दुसरे स्टूडेंट्स द्वारा  मुझे बचपन में  ही लोनर की उपाधि नवाजा जा चुका था ।  हमें छोड़ने के बाद पिताजी ने  बरसो हमसे कोई कांटेक्ट नहीं रखा, फिर एक दिन अचानक उन्हें जैसे हमारी याद आई और वो माफ़ी मांगने हमारे घर में पहुचे । उनकी आँखों में पश्चाताप के आंसू थे, पर मेरे लिए तो उन आंसूओं का कोई मोल ही नहीं था और ना ही उनका... मैं उस समय कॉलेज में  था । मैंने जैसे ही उन्हें अपने घर की दहलीज के अन्दर देखा, मैंने बिना एक सेकंड गंवाए.. उन्हें धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया ।

 

उन्होंने कई बार हमसे बात करने की कोशिश की, वो कई बार हमारे घर पर भी आये... लेकिन मैंने हर बार उन्हें बिना उनकी कोई बात सुने घर से बाहर निकाल दिया । उनका अब एक  अलग परिवार था... जिसमे  उनकी दो बेटियां भी थी । उन दोनों ने भी मुझसे मिलने की बहुत कोशिश की , लेकिन मैंने उनमे से किसी से बात नहीं की और मुझे मिले लोनर उपाधि की तरह ही मैंने उनके साथ बर्ताव किया ।

और फिर एक दिन मुझे खबर मिली की मेरे पिताजी का अंत समय निकट आ गया है और वो स्टैनफोर्ड मेडिकल सेन्टर में जहा मेरी माँ एडमिट थी, वही उनका भी इलाज चल रहा है । मैं उनसे फेस टू फेस तो कभी नहीं मिला ... लेकिन अक्सर रात में मेरी माँ के सो जाने के बाद उनके कमरे के बाहर से अन्दर झाकता । उनका नया परिवार... जिसके लिए उन्होंने हम दोनों के साथ ऐसा बर्ताव किया था, वो उनके हॉस्पिटल के खर्च को वहन  करने में सक्षम नहीं थे । ऐसा मैंने उनकी पत्नी को अपनी बेटियों से कहते हुए सुना था । मैं हमेशा से यही चाहता था कि वो आदमी जिसने मेरी माँ का जीवन बर्बाद किया, वो अंत समय आने पर घुट –घुट कर तिल –तिल मरे और मानो भगवान् ने मेरी सुन भी ली थी । लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया... मेरी बरसो पुरानी  मन की मुराद उस आदमी के तड़प –तड़प कर मरने से पूरी हो रही थी, लेकिन पता नहीं .... उस समय मुझे क्या हुआ , जो मैं उस आदमी को उसके अंतिम समय में पैसों के लिए एड़िया रगड़ते हुए देख ये सहन नहीं कर पाया और ना चाहते हुए भी मैंने हॉस्पिटल वालो को उनके इलाज का पूरा खर्च मेरे अकाउंट में जोड़ने के लिए कह दिया और हॉस्पिटल वालो से कह दिया कि वो मेरा नाम बिल्कुल भी ना ले ।

 

इलाज के पैसो के लिए संघर्ष करता हुआ व्यक्ति, अपनो से मदद ना मिलने पर उनसे घृणा करने लगता है । यही उन लोगो ने भी किया । मेरे पिताजी की उन दो बेटियों से जब एक बार मेरी मुलाकात लिफ्ट में हुई तो उन्होंने मुझे बहुत बुरा –भला कहा... और कहा कि, इस दुनिया में कोई किसी को मेरे जैसा बेटा ना दे । उन्होंने इसके साथ ही मुझे ये इनफार्मेशन भी दी कि पिताजी ने बहुत पहले ही एक इंश्योरेंस करा रखा था, जिसके बारे में उन्हें खुद भी नहीं पता था और हाल ही में ही हॉस्पिटल वालो ने उन्हें बताया । जिसके  कारण अब उनके इलाज में कोई दिक्कत नहीं आएगी । उन्होंने  मेरे लिए और भी कटु शब्द अपने मुख और जिंव्हा से प्रवाहित किया, लेकिन मैंने उन्हें एक बार भी नहीं बताया की वो इंश्योरेंस मेरी देन थी... क्यूंकि क्या फर्क पड़ता है अब । वैसे भी मेरी माँ ने कहा था कि हमें अच्छे इंसान के साथ –साथ बुरे इंसान से भी सीखना चाहिए, तो बस मैंने वही किया ।

 

मैं अक्सर रात में अपने पिताजी को स्टैनफोर्ड में उनके रूम में लगी खिड़की से सोते हुए देखा करता था । पर कभी अन्दर नहीं गया । किसी और को भले ही ना मालूम हो, पर उन्हें जरूर मालूम रहा होगा कि उनके इलाज का खर्च कहा से आ रहा है, इसे उन्होंने अपने तक ही सीमित रखा और यही मैं चाहता भी था । मैं उनसे मिलने कभी उनके कमरे के अन्दर तो नहीं गया... पर एक बार रात में उन्होंने मुझे बाहर खड़े हुए पारदर्शी खिडकियों से देख लिया था । जिसके बाद उन्होंने कई बार मेरा नाम पुकारा... लेकिन मैं फिर भी अन्दर नहीं गया और मेरे माँ के गुजर जाने के कुछ हफ्तों बाद उन्होंने भी अपना जीवन त्याग दिया ।

 

“Aakash to Space Center-1... Spacewa।k-3... copy...”

“P।ease proceed......”

 

कुछ दिन लगे मुझे ऑरोरा  के जाने के बाद  वापस से पहले की तरह बनने में और अब जब ऑरोरा  ही नहीं थी तो empty space के लिए मेरा प्यार फिर से जाग गया था । मैं फिर से उसी मानसिकता का शिकार था, जिस मानसिकता के साथ यहाँ आया था । जो कि पृथ्वी से दूर फुटबॉल ग्राउंड जितने बड़े स्पेस स्टेशन में अकेले रहने के लिए जरूरी भी था ।

 

वैसे भी , मैंने इस  शापित जीवन में ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा यदि  ऑरोरा  के बाद किसी को प्यार किया है, किसी को समझा है तो ये empty space ही है और अब ऑरोरा  के जाने के बाद... एकमात्र यही वो जगह , वही चीज थी... जिसे मैं देखना चाहता था, जिसे जानना चाहता था, जिसे महसूस करना चाहता था । बाकी सारी दुनिया , सारे लोग तो बहुत छोटी उम्र में ही मेरे लिए बेगाने हो गए थे....

“Day 121... Spacewa।k-3... Aakash to Space Center-1... EMV-X Testing... No Pressure ।eakage.. Thrusters fully ।oaded and working fine... SAFER is ।oaded and it seems good too... though I won’t need it this time. Now, Detaching the Tether Rope.... Tether rope detached... now, I’m on my own... Aakash to Space Center-1 & 2... Spacewa।k-3... copy...”

“P।ease proceed... what is the code Name...”

 

ISS की ट्रस पर, जिसे ISS की रीड की हड्डी भी कहा जाता है, इसी में ISS के सभी भाग अटैच्ड होते है । मैं वहा स्पेस स्टेशन के बाहर... अकेले अनंत अंधकार में अकेले  खड़ा था । अपने सामने फैले अनंत अंधकार  के महासागर को देख एक पल के लिए मैं थोडा डरा भी... पर डर से ज्यादा मैं उत्साहित था और ISS से दूर ISS की तरह ही उसी स्पीड में पृथ्वी के चारो ओर मुझे चक्कर लगाना था, जैसे चन्द्रमा लगाता है ।

“P।ease proceed... what is the code Name...”

मैंने अपने दोनों हाथो को ऊपर उठाया और सिर के बल उल्टा उस अनंत अंधकार में ISS से जम्प मारकर  अपनी आँखे बंद की और थ्रस्टर बूस्ट करते हुए बोला ...


“Code name... A….. LONER….”

 

**********T H E    E N  D*********

this is the last short story i have in stock.... so thank you .

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1 Comments

Sana khan

27-Aug-2021 12:37 PM

Apki story bahoot achi hoti hai plz or likhe..! We r waiting for your next storY✌😥

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